क्रिकेट में पहले कितने स्टंप थे? | Cricket ke Stumps ka Evolution, Rules aur History

क्या आपने कभी सोचा है कि आज के मैच में जो तीन स्टंप्स दिखते हैं, क्या वो शुरुआत से ही ऐसे थे? क्या पुराने ज़माने में भी उतने ही स्टंप्स हुआ करते थे?

इस आर्टिकल में हम गहराई से समझेंगे कि क्रिकेट में पहले कितने स्टंप थे, उनका इतिहास क्या है, भारत में इसका सफर कैसा रहा, और आज के नियमों में क्या बदलाव हुए हैं। साथ ही हम जानेंगे कि क्रिकेट में कितने अंपायर होते हैं, नियम 42 क्या है, और क्रिकेट से जुड़े दूसरे रोचक तथ्यों पर भी नजर डालेंगे।

शुरुआत में क्रिकेट में कितने स्टंप्स होते थे?

शुरुआत में जब क्रिकेट खेला जाता था (17वीं सदी के अंत या 18वीं सदी की शुरुआत में), तब विकेट के पीछे सिर्फ दो लकड़ी के स्टंप होते थे। ये दो खंभे ज़मीन में गड़े रहते थे और उनके ऊपर एक बेल (छोटी लकड़ी की पट्टी) रखी जाती थी।

अब सोचिए – सिर्फ दो स्टंप होने पर बीच में खाली जगह कितनी ज़्यादा होती थी! बॉल उस बीच से आसानी से निकल सकती थी, जिससे बल्लेबाज को आउट करना मुश्किल हो जाता था।
यही वजह थी कि तीसरे स्टंप की ज़रूरत महसूस की गई।

बदलाव कब और क्यों हुआ?

1775 में एक ऐसा वाकया हुआ जिसने क्रिकेट के इतिहास को बदल दिया।

बल्लेबाज टॉम वेस्ट लगातार ऐसी गेंदों से बच रहे थे जो दो स्टंप के बीच से निकल जाती थी। तब गेंदबाज़ एडवर्ड "लड्ड" लैंड ने विरोध जताया और बदलाव की मांग की। MCC (Marylebone Cricket Club) ने इसपर विचार किया और फिर तीसरा स्टंप शामिल किया गया।

यानी पहले क्रिकेट में सिर्फ 2 स्टंप होते थे, लेकिन 1775 के बाद से 3 स्टंप का उपयोग शुरू हुआ और वही आज तक चला आ रहा है।

भारत में क्रिकेट में पहले कितने स्टंप थे?

भारत में जब ब्रिटिश लोगों के ज़रिए क्रिकेट आया, तब शुरुआत में भी वही पुरानी इंग्लिश प्रणाली अपनाई गई – यानी दो स्टंप्स वाला सिस्टम।

लेकिन जैसे ही भारत ने 1932 में अपना पहला टेस्ट मैच खेला, तब तक तीन स्टंप का नियम अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में लागू हो चुका था। इसलिए भारत में इंटरनेशनल क्रिकेट की शुरुआत तीन स्टंप्स से ही हुई। हां, यह संभव है कि स्थानीय या कॉलेज क्रिकेट में कभी पुराने नियमों का पालन होता रहा हो, लेकिन आधिकारिक तौर पर भारत ने तीन स्टंप्स को ही अपनाया।

आज के क्रिकेट में कितने स्टंप होते हैं?

आज के क्रिकेट में, चाहे वह टी20 (T20) हो, वनडे हो या टेस्ट – हर मैच में तीन स्टंप और दो बेल्स होते हैं। ये तीन स्टंप मिलकर एक विकेट बनाते हैं और हर एंड पर एक-एक विकेट होता है।

पहलूविवरण
स्टंप की संख्या3
बेल्स की संख्या2
विकेट की कुल संख्या (मैदान पर)2

कुछ लोग पूछते हैं: “भाई, 4 या 5 स्टंप क्यों नहीं होते?”
तो इसका जवाब है – तीन स्टंप का साइज और स्पेसिंग ऐसा डिज़ाइन किया गया है जिससे बॉल आराम से पास भी हो सके और आउट का फैसला भी क्लियर हो। यह संतुलन बनाकर ही नियम तय किया गया है।

क्रिकेट में कितने अंपायर होते हैं?

आधुनिक क्रिकेट में अंपायरों की भूमिका सिर्फ 'न्याय करने' तक सीमित नहीं रह गई है – वे तकनीकी फैसले, DRS, और ऑन-फील्ड डिसीजनिंग का अहम हिस्सा बन चुके हैं।

एक मैच में आमतौर पर होते हैं:

2 ऑन-फील्ड अंपायर – एक स्ट्राइकर एंड पर और दूसरा स्क्वेयर लेग पर।

1 थर्ड अंपायर (TV Umpire) – जो कैमरा रिप्ले के जरिए निर्णय लेता है।

1 मैच रेफरी – जो पूरे मैच की निगरानी करता है और अनुशासन देखता है।

कुल मिलाकर, क्रिकेट में 4 अधिकारी मैदान और तकनीक के ज़रिए मैच को नियंत्रित करते हैं।

नियम 42 क्या है? | Cricket Mein Rule 42 Kya Hai?

क्रिकेट का नियम 42 ‘Players’ Conduct’ यानी खिलाड़ी के व्यवहार से जुड़ा होता है।

इसमें बताया गया है कि कोई खिलाड़ी जानबूझकर:

खेल में बाधा डाले

अंपायर से बदतमीजी करे

फील्डिंग में नाजायज़ तरीके अपनाए

बैटिंग में अनुचित चाल चले

तो उसपर अंपायर चेतावनी, पेनल्टी रन या सस्पेंशन तक का फैसला ले सकते हैं।

आधुनिक क्रिकेट में ‘स्पिरिट ऑफ द गेम’ बहुत ज़रूरी है, और यही नियम 42 सुनिश्चित करता है।

पुराने ज़माने से अब तक: Cricket Mein Evolution Ka Safar

दशकस्टंप्स की संख्याबदलाव की खास वजह
1700s2शुरुआती नियम
17753तीसरे स्टंप की जरूरत
1800s–अब3इंटरनेशनल मान्यता

क्रिकेट से जुड़े और सामान्य सवाल

क्रिकेट में कितने विकेट होते हैं?

एक टीम जब बल्लेबाजी करती है, तो उसके पास 10 विकेट होते हैं। यानी 11 में से 10 खिलाड़ी आउट हो जाएं, टीम ऑलआउट मानी जाती है।

क्रिकेट में कितने शॉट होते हैं?

क्रिकेट में गिनती के हिसाब से शॉट नहीं होते, लेकिन कुछ प्रमुख शॉट्स होते हैं जो हर बैट्समैन खेलता है:

  • कवर ड्राइव
  • स्ट्रेट ड्राइव
  • पुल शॉट
  • स्वीप
  • हुक
  • हेलिकॉप्टर शॉट

क्या चार स्टंप्स का प्रयोग कभी हुआ है?

नहीं। तीन स्टंप्स का नियम ही वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त है। MCC और ICC ने भी इसे स्टैंडर्ड नियम के रूप में रखा है।

अंतिम शब्द

क्रिकेट में पहले सिर्फ दो स्टंप हुआ करते थे – यह जानना हमारे लिए इसलिए ज़रूरी है क्योंकि इससे पता चलता है कि खेल कैसे विकसित हुआ, और आज जो तकनीकी परिशुद्धता दिखती है, वो यूं ही नहीं आई। तीसरा स्टंप लाना एक ऐसा बदलाव था जिसने क्रिकेट को ज़्यादा न्यायपूर्ण, प्रतिस्पर्धी और रोमांचक बनाया।

आज अगर विकेट का बेल गिरता है या बॉल स्टंप से टकराती है – तो उसका फैसला सेकंडों में हो जाता है। लेकिन ये सब संभव हुआ है वर्षों के बदलावों के चलते।